Independence- A mere dream
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
ग़ज़ल:- रोशनी देता है सूरज को शरारा करके...
हो सके तो तुम स्वयं को गीत का अभिप्राय करना।
*पाए हर युग में गए, गैलीलियो महान (कुंडलिया)*
दिन निकलता है तेरी ख़्वाहिश में,
umesh vishwakarma 'aahat'
शहर का मैं हर मिजाज़ जानता हूं....
अपने दर्द को अपने रब से बोल दिया करो।
जिनमें कोई बात होती है ना
कोई भी इतना व्यस्त नहीं होता कि उसके पास वह सब करने के लिए प
Whenever Things Got Rough, Instinct Led Me To Head Home.
एक राधा, एक मीरा, एक घनश्याम
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