वह फूल हूँ
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
लेकिन मुझे भी तो कुछ चाहिए
इस संसार में क्या शुभ है और क्या अशुभ है
एक दिवानी को हुआ, दीवाने से प्यार ।
इंसान को इतना पाखंड भी नहीं करना चाहिए कि आने वाली पीढ़ी उसे
ज़माने को समझ बैठा, बड़ा ही खूबसूरत है,
जब में थक जाता और थककर रुक जाना चाहता , तो मुझे उत्सुकता होत
अब मै ख़ुद से खफा रहने लगा हूँ
मुश्किल है जिंदगी में ख्वाबों का ठहर जाना,
"विश्व साड़ी दिवस", पर विशेष-
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
यादें अपनी बेच कर,चला गया फिर वक्त
अगड़ों की पहचान क्या है : बुद्धशरण हंस
दास्ताने-कुर्ता पैजामा [ व्यंग्य ]
*सीढ़ी चढ़ती और उतरती(बाल कविता)*
हम यथार्थ सत्य को स्वीकार नहीं कर पाते हैं
रे मन! यह संसार बेगाना
अंजनी कुमार शर्मा 'अंकित'