आज कल रिश्ते भी प्राइवेट जॉब जैसे हो गये है अच्छा ऑफर मिलते
अहंकार और संस्कार के बीच महज एक छोटा सा अंतर होता है अहंकार
हे कलम तुम कवि के मन का विचार लिखो।
मानव तन
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
आंखों से पिलाते हुए वो रम चली गई।
अगर तलाश करूं कोई मिल जायेगा,
शिवांश को जन्म दिवस की बधाई
Lambi khamoshiyo ke bad ,
मुझको जीने की सजा क्यूँ मिली है ऐ लोगों
ये साल भी इतना FAST गुजरा की
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
■ मिथक के विरुद्ध मेरी सोच :-
*आए जब से राम हैं, चारों ओर वसंत (कुंडलिया)*
ग़ज़ल _ मिले जब भी यारों , तो हँसते रहे हैं,
सुनसान कब्रिस्तान को आकर जगाया आपने
बेटियां ज़ख्म सह नही पाती