निगाहें प्यार की ऊंची हैं सब दुवाओं से,
मैं उसकी निग़हबानी का ऐसा शिकार हूँ
*वंदन शासक रामपुर, कल्बे अली उदार (कुंडलिया)*
चरित्र साफ शब्दों में कहें तो आपके मस्तिष्क में समाहित विचार
భారత దేశ వీరుల్లారా
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
विषय : बाढ़
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
हर हालात में अपने जुबाँ पर, रहता वन्देमातरम् .... !
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
आचार्य पंडित राम चन्द्र शुक्ल
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
जब तुम नहीं कुछ माॅंगते हो तो ज़िंदगी बहुत कुछ दे जाती है।
हार नहीं मानेंगे, यूं अबाद रहेंगे,
मैं आत्मनिर्भर बनना चाहती हूं