”बंदगी”
धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर
आज़ाद पैदा हुआ आज़ाद था और आज भी आजाद है।मौत के घाट उतार कर
Can I hold your hand- एक खूबसूरत एहसास
ये शिकवे भी तो, मुक़द्दर वाले हीं कर पाते हैं।
लोग कितनी आशा लगाकर यहाॅं आते हैं...
“ फौजी और उसका किट ” ( संस्मरण-फौजी दर्शन )
ख्याल तुम्हारा आता है जब रात ये आधी लगती है*
डॉ कुलदीपसिंह सिसोदिया कुंदन
बे मन सा इश्क और बात बेमन का
हिन्दी ग़ज़ल " जुस्तजू"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
My thoughts if glances..!!
*भारतीय क्रिकेटरों का जोश*