न जाने कहाँ फिर से, उनसे मुलाकात हो जाये
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
उस झरोखे को बंद करें, जो आपको पीड़ा देता है, बाहर का दृश्य च
*बेटियॉं जब से कमाने लग गईं (हिंदी गजल/ गीतिका)*
आज के दौर के मौसम का भरोसा क्या है।
कबूतर इस जमाने में कहां अब पाले जाते हैं
जीने दो मुझे अपने वसूलों पर
🥀*गुरु चरणों की धूलि*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
आयी प्यारी तीज है,झूलें मिलकर साथ
ले हौसले बुलंद कर्म को पूरा कर,
Anamika Tiwari 'annpurna '
आज़ाद भारत एक ऐसा जुमला है
अपने किरदार से चमकता है इंसान,
सुबह सुहानी आ रही, खूब खिलेंगे फूल।
कठिन समय आत्म विश्लेषण के लिए होता है,
कई जीत बाकी हैं, कई हार बाकी हैं, अभी तो जिंदगी का सार बाकी
दोस्ती में हम मदद करते थे अपने यार को।