राष्ट्र भाषा -स्वरुप, चुनौतियां और सम्भावनायें
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
ग़ज़ल _ थी पुरानी सी जो मटकी ,वो न फूटी होती ,
गजल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
कहां गयी वो हयादार लड़कियां
भगिनि निवेदिता
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
शीर्षक - 'शिक्षा : गुणात्मक सुधार और पुनर्मूल्यांकन की महत्ती आवश्यकता'
"सूर्य -- जो अस्त ही नहीं होता उसका उदय कैसे संभव है" ! .
जीवन के दिन चार थे, तीन हुआ बेकार।
*जीवन में हँसते-हँसते चले गए*
लोग मेहनत से एक एक रुपए कमाते हैं
द्रवित हृदय जो भर जाए तो, नयन सलोना रो देता है
मां की दूध पीये हो तुम भी, तो लगा दो अपने औलादों को घाटी पर।
गणेश जी पर केंद्रित विशेष दोहे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
जमाना इस कदर खफा है हमसे,
करते हैं सभी विश्वास मुझपे...
*साम्ब षट्पदी---*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
संसार का स्वरूप(3)
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "