आज ख़ुद के लिए मैं ख़ुद से कुछ कहूं,
Someday you'll look back and realize that you overcame all o
मन को भाये इमली. खट्टा मीठा डकार आये
मूँछ पर दोहे (मूँछ-मुच्छड़ पुराण दोहावली )
संस्कृति संस्कार
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
मुझ पे एहसान वो भी कर रहे हैं
तल्खियां
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
एक इस आदत से, बदनाम यहाँ हम हो गए
*राधेश्याम जी की अंटे वाली लेमन*
*शिवोहम्* "" ( *ॐ नमः शिवायः* )
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
रमेशराज की कविता विषयक मुक्तछंद कविताएँ