।। समीक्षा ।।
।। समीक्षा ।।
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अपनी “समीक्षा” रोज करते रहो, आत्मचिन्तन करो। जीवन उत्सव कैसे बने ? प्रत्येक क्षण उल्लासमय कैसे बने ? जीवन संगीत कैसे बने, यह चिन्तन जरूर अपनी समीक्षा से ही आगे के रास्ते खुलेंगे।
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अपनी “समीक्षा” रोज करते रहो, आत्मचिन्तन करो। जीवन उत्सव कैसे बने ? प्रत्येक क्षण उल्लासमय कैसे बने ? जीवन संगीत कैसे बने, यह चिन्तन जरूर अपनी समीक्षा से ही आगे के रास्ते खुलेंगे।