।। फूल को छुआ ।।
फूल को छुआ
होंठों से,
तो जाना
फूल सा होना।
होंठों की अकड़न,
दिल की धड़कन,
बढ गई,
महका कोना-कोना।
अनछुए छुई
पंखुड़ियां,
हुआ सबनम का
तन-मन को भिगोना।
पलकें बंद हो
या खुली
हरदम तुझे पाना,
कब चाहता
तेरे नाजुकता
सिहरन को खोना।
फूल को छुआ
होंठों से
तो जाना
फूल-सा होना।
✍️ शिवपूजन यादव’सहज’
ग्राम पोस्ट रामपुरकठरवां लालगंज आजमगढ़ उत्तर प्रदेश।