।। जरूरी है ।।
ऐसी क्या मजबूरी है
जो जिंदगी से
ज्यादा जरूरी है
क्या घर से निकलना
बहुत जरूरी है ?
मास्क और हाथ-धोना,
सोशल दूरी ही तो
जरुरी है
घर मे ही बैठ कर
चैन को तोड़ना जरूरी है।
मेरा परिवार
मेरी जिम्मेदारी
जरूरी है
संसार को फिर से
चलाने के लिए
मेरा रुकना
जरुरी है…।
– प्रो डॉ दिनेश गुप्ता-आनंदश्री
विश्वरीकोर्ड पुरस्कृत कवि
मुम्बई