।। आतंक को हराना होगा ।।
“आंखें नम हैं मनीष जी के जाने का गम है
भारत की युवा पीढ़ी में बहुत दम है
शहादत तुम्हारी याद रखेंगे
आतंक तुझसे निपटेंगे
हमारी भुजाओं में कहां ? दम कम है ।”
आज मेरे ही गृह राज्य मध्य प्रदेश के मेरे जिले राजगढ़ के खुजनेर नगर के वीर शहीद सेनानी मनीष जी की अंतिम यात्रा मेरे गृह नगर बोड़ा से होकर गुजरी ।
जिनकी शहादत कश्मीर के बारामूला में पिछले 3 दिन पूर्व आतंकवादियों के कायराना हमले में घायल होने के बाद हो गई थी ।
उनका पार्थिव शरीर जम्मू जम्मू से दिल्ली दिल्ली से भोपाल लाया गया । जहां भोपाल में प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह जी ने उन्हें अपनी श्रद्धांजलि दी और उनके परिवार के लिए एक करोड़ रुपए की सहायता राशि के साथ-साथ परिवार के एक सदस्य को शासकीय नौकरी देने का भरोसा दिया ।
भोपाल से प्रातः लगभग 8:00 बजे मनीष जी की सैनिक काफिले के साथ अंतिम यात्रा प्रारंभ हुई जो श्यामपुर कुरावर नरसिंहगढ़ होते हुए बोड़ा पहुंची ।
मैं भी मुख्य मार्ग पर खड़ा होकर अमर सेनानी के अंतिम दर्शन हेतु नम आंखों को सहेजे रहा। युवाओं तरुण ओं का जोश भारत माता की जय कार से गूंज उठा ।हमारे लिए यह प्रथम दृश्य था कि एक वीर सपूत जिसने की देश की सरहद की रक्षा में अपने प्राण गवाए,और उनके काफिले में हम सम्मिलित हुए ।अभी उम्र ही क्या थी उनकी मात्र 22- 24 वर्ष ।पिछले वर्ष ही उन्होंने गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था। आतंक के काले कारनामे ने उन्हें चाहे शहादत दे दी हो पर मेरे लिए और मेरे जैसे देश के हजारों लाखों युवाओं के लिए आतंक के खिलाफ एक जोश भर दिया है ।
इसका सबूत में अपनी आंखों से देख रहा हूं । हर युवा तरुण सरहद पर जाकर आतंक से लड़ने को तैयार है ,बस उन्हें इंतजार है कब हमें अवसर मिले।
यह जज्बा ही तो आतंक को हराएगा ।हम अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि मनीष जी के प्रति समर्पित करते हैं । और ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि उनके परिवार को सामर्थ्य दे कि वह इस शहादत की घड़ी में अपने हौसले और बुलंद करें ।
ईश्वर उन्हें शक्ति दे कि राष्ट्र की आन बान शान के लिए तैयार रहे ।।
बोड़ा की जय जय कार के बाद मनीष जी का कारवां पचोर होते हुए अपने ग्रह नगर खुजनेर पहुंचा ।
जहां हजारों की भीड़ नगर में भ्रमण के साथ उनकी अंतिम यात्रा में सम्मिलित रही ।
जिसका दृश्य हमने आज के इस मोबाइल युग में सीधा लाइव देखा।
लगभग 5:00 बजे सेना द्वारा उन्हें सलामी दी गई इसके बाद उनके पार्थिव शरीर को पंचतत्व में विलीन कर दिया गया ।
मनीष जी के ही भाई जो कि सेना में अपना कर्तव्य निर्वहन कर रहे हैं परिजन के साथ इस दुखद क्षण में उनके साथ रहे।
एक सैनिक का जाना राष्ट्र की गहरी क्षति होती है पर क्या करें परमात्मा किसी वीर को राष्ट्र सेवा का इतना ही सौभाग्य देता है।
हमें इस आतंक रूपी काल को मिलकर के हराना होगा क्योंकि हम देख रहे हैं कि कश्मीर में जो घटनाएं घट रही है और आतंकवाद जिस प्रकार से हमारे सैनिकों पर हमले कर रहा है उसके लिए हमें मिलकर के एक ऐसी ठोस नीति का निर्माण करना होगा कि हमारे देश के वीरों का इस प्रकार से असमय जाना ना हो।
“हे दुराचारी आतंक
मत खेल मेरे रणबांकुरो से ,
तूने हमारा एक सैनिक छीना
हम तेरे कुनबे को मिटायेंगे
मनीषियों के इस देश में
“मनीष “से कोटि युवा भीड़ जाएंगे
तू हमसे ना जीत पाएगा
तुझे समूल नष्ट कर जाएंगे
कश्मीर हमारा मोर मुकुट है
यहां अमन शांति का उपवन चमन खिलाएंगे
आएंगे आएंगे
हम भी सरहद पर आएंगे
बांध तिरंगा शीश हमारे
आतंक तुझे हराएंगे ।”
“राजेश व्यास अनुनय”