।।हर जश्न तेरे द्वार पर।।
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दे दुआएँ लिख रहा हूँ गीत तेरे प्यार पर।
तू रहे जग-जीत बनकर प्यार के संसार पर।।
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गुनगुनाता शख्स हर हो इस जहाँ में प्यार से।
तू वही धुन गीत बन जा जो बजे त्यौहार पर।।
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युग नये निर्माण की रख नींव अपने हाथ से।
औ महल बनते रहे संगीत की झनकार पर।।
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हर सबेरा सज रहा हो नाम तेरे साज से।
इस तरह तू अब सजा ले नाम को श्रृंगार पर।।
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हर सदी की सोच में अंदाज यूँ भरते चलो।
नाज हो हर आदमी को काज औ उपकार पर।।
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इस जहाँ से उस जहाँ तक जीत की झंकार हो।
हो मुकम्मल जीत का हर जश्न तेरे द्वार पर।।
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शब्द #जय आशीष बनकर दे दुआएँ कह रहे।
सब जहाँ की हर खुशी हो प्यार के उपहार पर।।
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कलम से
संतोष बरमैया #जय