।।कल जो देखा था तुझे।।
कल जो देखा था तुझे,
शायद तुम वही हो या नही।
पता ना कोई ठिकाना रहा,
ढूढता था मै तुझे पर तू मिली नही ।।
एक लम्हा तुझे देख लू तो जरा,
तू शायद वही हो या बदल गयी हो।
ढूढता हू मै तुझे इसलिए ,
कि तुम बिगड गयी या संभल गयी हो।।
हर सफर मे जी चाहता था देखने को,
मगर जमाना लगा ढुढने मे मुझे
बस तेरी आसुओ से भीगी राहो पर,
ढूढता रहा तुझे, ढूढता रहा तुझे, ढुढता रहा तुझे ।।।।
कवि – मंजेश पटेल ,9696845616