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2 Mar 2021 · 1 min read

।।आत्म-सम्मान।।

झुककर चलने की नहीं आदत हमारी,
यही तो है पहचान हमारी।
आत्मसम्मान से बढ़कर, कोई दौलत, कोई शौहरत नहीं,
यही तो है जान हमारी।
कैसे झुक जाए वो किसी के आगे, जिनके कुछ राज नही होते,
जिंदगी को जीते है वो शान से, जिसके ऊपर किसी के एहसान नहीं होते,
सच को हमेशा सच कहा, बस यही रही आदत हमारी।
ये सबसे बड़ा गहना है, जो हर किसी ने नहीं पहना है।
ये ही सबसे बड़ा शृंगार है,
आत्मसम्मान के बिना जीवन बेकार है।

– रुचि शर्मा
भोजपुर, बिजनौर

Language: Hindi
3 Likes · 724 Views
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