।।आखिरी पल तक तके रस्ता है माँ।।
★★★★★★★★★★★★
बस समय पर सुत नहीं पहुँचा वहाँ।
आखिरी पल तक तके रस्ता है माँ।।
बेबसी में बंद की आँखे अभी ।
बह रहे आँसू कहें हर दासताँ ।।
सर झुका आँखे लगी दर की तरफ।
चाह शायद रह गई अंतिम यहाँ।।
हाथ खाली थे दिया सब कुछ उसे।
वो नहीं आया रुका जाने कहाँ।।
सुत पिलाएगा यही कहते रही।
जल भरा बर्तन करे सब कुछ बयाँ।।
माँग सकती थी बहुत खुद के लिये।
माँग बैठी खुश रहे सुत हो जहाँ ।।
हर दुआ आशीष दे ममता चली।
इस जहाँ में छोड़ सुख का आशियाँ।।
★★★★★★★★★★★★
संतोष बरमैया #जय