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19 Apr 2020 · 1 min read

फ़ज़ा

बदल रही है फ़ज़ा जमाने की
बादलों की ओट से निकल कर
मुस्कुराता हुआ सूरज
बिखेर रहा है
लालिमा चारों ओर
चमन फिर से गुलजार हो रहा है

छंट रहे हैं खौफ़ के बादल
महामारी से इंसान
निजात पाने की जानिब बढ़ रहा है
चमन फिर से गुलजार हो रहा है

एक नई सुबह की आहट है
आशाओं से भरा आसमान
इंतजार में है इंसान फिर से
भरने को पंछियों की तरह
ऊंची उड़ान
भविष्य है सुनहरा चारों ओर
चमन फिर से गुलजार हो रहा है…………

Language: Hindi
1 Comment · 567 Views
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