फ़ज़ा
बदल रही है फ़ज़ा जमाने की
बादलों की ओट से निकल कर
मुस्कुराता हुआ सूरज
बिखेर रहा है
लालिमा चारों ओर
चमन फिर से गुलजार हो रहा है
छंट रहे हैं खौफ़ के बादल
महामारी से इंसान
निजात पाने की जानिब बढ़ रहा है
चमन फिर से गुलजार हो रहा है
एक नई सुबह की आहट है
आशाओं से भरा आसमान
इंतजार में है इंसान फिर से
भरने को पंछियों की तरह
ऊंची उड़ान
भविष्य है सुनहरा चारों ओर
चमन फिर से गुलजार हो रहा है…………