फ़ज़ा
फ़ज़ा
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बदल रही है फ़ज़ा घाटी की
बादलों की ओट से निकल कर
मुस्कुराता हुआ सूरज
बिखेर रहा है
लालिमा चारों ओर
चमन फिर से गुलज़ार हो रहा है
हवा में घुली बारुद की गंध
और गोलियों की आवाज
नहीं है अब
छंट गए हैं अनिश्चितता के बादल
अमन चैन पसरा है चारों ओर
चमन फिर से गुलज़ार हो रहा है
एक नई सुबह की आहट है
आशाओं से भरा आसमान
इंतज़ार में है पंछियों की
ऊंची उड़ान भरने के
सुनहरा भविष्य है चारों ओर
चमन फिर से गुलज़ार हो रहा है…………