फ़ितरत
“मुझे नहीं आती हैं, उड़ती पतंगों सी चालाकियां ।।
गले मिलकर गला काटूं, वो मांझा नहीं हूँ मै ..
ख़ता है ये इस दिल की हो सके तो नज़र अंदाज़ करें।।
क्योंकि मैं जो हूँ अच्छा हूँ मुझें औरों जैसा नहीं बनना1हैं….
मुकेश पाटोदिया”सुर”
“मुझे नहीं आती हैं, उड़ती पतंगों सी चालाकियां ।।
गले मिलकर गला काटूं, वो मांझा नहीं हूँ मै ..
ख़ता है ये इस दिल की हो सके तो नज़र अंदाज़ करें।।
क्योंकि मैं जो हूँ अच्छा हूँ मुझें औरों जैसा नहीं बनना1हैं….
मुकेश पाटोदिया”सुर”