फ़िक्र का गहरा समन्दर
फ़िक्र का गहरा समन्दर देखिए
फिर अदब के लालो-गौहर देखिए
हौसले से क्या नहीं मुमकिन हुआ
जीत कर हारा सिकन्दर देखिए
यूँ तो इक छोटा सा पंछी हूँ मगर
छू लिया निस्सीम अम्बर देखिए
गन्ध कस्तूरी लिए वह आ गया
कर गया हर शय पे मन्तर देखिए
हम चले लेकर सियासत के उरूज
सो गए बापू के बन्दर देखिए
आस्था का मान रखने के लिए
आ गए कंकर में शंकर देखिए
मौत फिर फुटपाथ पर हारी ‘असीम’
आ गया है फिर दिसम्बर देखिए
– शैलेन्द्र ‘असीम’