ज़ुबान से फिर गया नज़र के सामने
कोई सितारा टिमटिमाया इस शहर के सामने,
परछाइयों से कोई गुज़र गया नज़र के सामने।
मैं दीप जला के बैठा ही था अंधेरे में कल यहाँ,
कोई साये सा गुज़र गया मेरी नज़र के सामने।
कल मेरा शहर बंद है, आज ये अखबार ने कहा,
शायद कोई हादसा हुआ है किसी नज़र के सामने।
मैं सदमे में दिल थाम के बैठ गया अपना हरसूँ,
शायद कोई रकीब गुज़र गया यूँ नज़र के सामने।
अब तो किसी पर ऐतबार भी नहीं होता ‘केसर’,
ज्यों ही वह जुबान से फिर गया नज़र के सामने।