((( ज़िस्म ही बिकता है )))
कौन पूछता है यहाँ इश्क़ को
दिखावे की दुनिया है, दिखावा ही चलता है,,
सीरत की चाहत ही किसे है अब यहाँ
ज़िस्म का व्यपार है, ज़िस्म ही बिकता है ,,
कर के देखो किसी पे विस्वास एक बार
भरे बाजार बेआबरु हो जाओगे, विस्वास ऐसे टूटता है,,
मोहब्बत भी चंद लम्हो की मोहताज़ हो गयी है
रोज़ नया बाँहो का सहारा चाहिए, पुराने से भी तो काम चलता है,,
अब मैं वो नही जो तुमसे मिलने वक़्त थी
वो रूह तो कब की मर गयी, बस ज़िस्म नही मरता है,,
कभी कर सको महसूस तो करना मेरे प्यार को
लेकिन आज के दौर में,सिर्फ प्यार से कहा किसी का मन भरता है,,
varsha