ज़िस्म गुरुर
रूह सख़्त मिज़ाज क्यूँ हूँ ।
ज़िस्म पेहरन लिवास क्यूँ हूँ ।
न रहेगा ज़िस्म तू साथ मेरे ,
तो ज़िस्म गुरुर आज क्यूँ हूँ ।
… विवेक दुबे”निश्चल”@..
रूह सख़्त मिज़ाज क्यूँ हूँ ।
ज़िस्म पेहरन लिवास क्यूँ हूँ ।
न रहेगा ज़िस्म तू साथ मेरे ,
तो ज़िस्म गुरुर आज क्यूँ हूँ ।
… विवेक दुबे”निश्चल”@..