ज़िन्दगी दुश्वार लेकिन प्यार कर
मुश्किलों को हौसलों से पार कर
ज़िन्दगी दुश्वार लेकिन प्यार कर
सामने होती मसाइल इक नयी
बैठ मत जा गर्दिशों से हार कर
बात दिल में जो दबी कह दे उसे
इश्क़ है उससे अगर इज़हार कर
नफरतों का बीज कोई बो रहा
दोस्तों से यूँ न तू तक़रार कर
ढूंढता दिल चन्द खुशियों की घड़ी
अब ग़मों पर खुद पलट कर वार कर
दूर मंज़िल हैं अभी रस्ता कठिन
ज़िन्दगी की राह को हमवार कर
अपने ख़्वाबों की निगहबानी करो
फायदा क्या ख़्वाहिशों को मार कर
है हमें लड़ना मुसलसल वक़्त से
हर घड़ी हासिल तज़ुर्बा यार कर
-हिमकर श्याम