बस मुझे तुझसे मुहब्बत है तो है
बस मुझे तुझसे मुहब्बत है तो है
की जमाने से अदावत है तो है
जीना मरना इश्क में ही है मुझे
इश्क जो मेरी इबादत है तो है
भूलना है तेरी फितरत में अगर
याद रखना मेरी आदत है तो है
नाम देता है अना का तू इसे
क्या करूँ मुझमें नज़ाकत है तो है
ज़िन्दगी से क्या गिला शिकवा करें
रूठी रहती अपनी किस्मत है तो है
राज खुलने दे मुहब्बत का मेरी
देख उसको खिलती रंगत है तो है
चाहे खा ले कितनी गीता की कसम
झूठ की चलती वकालत है तो है
करती गुंडागर्दी है मनमानियां
ढीठ ज़िद्दी भी शराफत है तो है
‘अर्चना’ कर ले जमाना कुछ यहाँ
प्यार की चलती हुकूमत है तो है
12-08-2019
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद