ज़िद्द
उलझी हुई उलझन है भले,पाने की ज़िद है तो है,
कहते हो दुश्मन है,पर आजमाने की ज़िद है तो है।
तूफान के डर से, अपना रास्ता नही बदलते कभी,
समंदर के साहिल पर,आशियाने की जिद है तो है।।
उलझी हुई उलझन है भले,पाने की ज़िद है तो है,
कहते हो दुश्मन है,पर आजमाने की ज़िद है तो है।
तूफान के डर से, अपना रास्ता नही बदलते कभी,
समंदर के साहिल पर,आशियाने की जिद है तो है।।