ज़िंदगी – बेवज़ह ही
बेवज़ह ही ज़िंदगी जीने में क्या ख़ास बात होती है?
आख़िर सुनहरी सुबह पश्चात ही काली रात होती है।
जिस पर “हृदय” हँसा ये समाज उसने ही रचा इतिहास ,
वरना जंग में साहसी योध्दाओं की भी मात होती है।
~ Rekha Sharma “मंजुलाहृदय”
बेवज़ह ही ज़िंदगी जीने में क्या ख़ास बात होती है?
आख़िर सुनहरी सुबह पश्चात ही काली रात होती है।
जिस पर “हृदय” हँसा ये समाज उसने ही रचा इतिहास ,
वरना जंग में साहसी योध्दाओं की भी मात होती है।
~ Rekha Sharma “मंजुलाहृदय”