ज़िंदा हूँ–कि,मेरा प्यार तुम हो
तेरे दिल में याद बनकर समां जाऊंगा
तेरी आँखों में नशा बनकर छा जाऊंगा
क़शिश की सरहद से दूर ना जा पाओगे–
मैं खुशबू बनकर एहसास की—
—तेरी साँसों में घुल जाऊंगा
ये तो सांसारिक बातें हैं,कि–
मै तुम्हारा रहा नही कभी
लेकिन—
ख़्वाबों–खयालों से छुड़ाओगे–
तुम पीछा कैसे–?
‘सोच’ की तस्वीर बनकर दिख जाऊंगा
तेरे इनकार की कोई वजह ना मिलेगा
तेरे दिल में प्यार मेरा बेवजह ना दिखेगा
तेरी मुस्कान की वजूद बनकर
तेरे चेहरे पर खिल जाऊंगा
देखोगी जब भी तुम आईना–
तेरे चेहरे की अक्स में मिल जाऊंगा
मेरे जीवन का आधार तुम हो
ज़िंदा हूँ ,कि–मेरा प्यार तुम हो
दुआओं में ,इबादतों में तुम्हें देखता हूँ
आभास–मेरे होने की तुम्हें भी होगी
खुली हवाओं में जब आओगी
खिलते फूल देख-मुस्कुराओगी
नाच उठेगा मन तेरा मयूर बनकर–
ख़ुशी का एहसास बनकर छा जाऊंगा
तेरे दिल में याद बनकर समां जाऊंगा
तेरी आँखों में नशा बनकर छा जाऊंगा। ।
रंजित तिवारी
पटेल चौक,कटिहार (पिन-854105)
बिहार
# 8407082012