ज़िंदगी
जिंदगी-ऐ-हक़ीकत में हँसना है मना ।
ख़यालों में ही मुस्कुरा लूँ मैं जरा ।
यूँ ही चलते चलते हो जाएगी फ़ना ,
ज़िंदगी बस तेरी एक यही रज़ा ।
….. विवेक दुबे”निश्चल”@…
जिंदगी-ऐ-हक़ीकत में हँसना है मना ।
ख़यालों में ही मुस्कुरा लूँ मैं जरा ।
यूँ ही चलते चलते हो जाएगी फ़ना ,
ज़िंदगी बस तेरी एक यही रज़ा ।
….. विवेक दुबे”निश्चल”@…