ज़िंदगी
तू रूठती तुझे मानता ज़िंदगी ।
तुझसे बस इतना नाता ज़िंदगी ।
चलता रहा अपना साथ यूँ ही ,
तुझे प्यार कब जताता जिंदगी ।
..
मैं ख़्वाबों से निकलूं जरा ।
अपने गमों से उबरूं जरा ।
ले आऊँ पल फुर्सत के जरा ,
ज़िंदगी तुझे प्यार कर लूं जरा ।
… विवेक दुबे”निश्चल”@..