ज़िंदगी मज़ा है
ज़िंदगी मज़ा है
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कहते हैं सब ज़िंदगी,होती इक सज़ा है।
मैं कहता हँसके जियो,देखो क्या मज़ा है।।
चमकीली है धूप-सी,अंबर के रूप-सी।
शोभित है ये हार-सी,खिलते गुलज़ार-सी।
इसकी हर शै मौज़ दे,लेना गर रज़ा है।
मैं कहता हँसके जियो,देखो क्या मज़ा है।।
ठंडी पीपल छाँव-सी,हरियाली गाँव-सी।
बहती झरनों तेज़-सी,ये कोरे पेज़-सी।
गाओ झूमो ओज है,रोकर ये क़ज़ा है।
मैं कहता हँसके जियो,देखो क्या मज़ा है।।
प्रेमी-दिल का प्यार है,दुल्हन शृंगार है।
गीतों का ये सार है,मानो उपहार है।
हारो खुद से हार है,जीतो तो बज़ा है।
मैं कहता हँसके जियो,देखो क्या मज़ा है।।
आर.एस.प्रीतम
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