ज़िंदगी के मज़े समय का पहिया कुछ यूं गजूमता है। बचपन में हमने ज़िंदगी के मज़े ख़ूब लिये। अब ज़िम्मेदारियां आईं तो ज़िंदगी मजे लेने लगी।