ज़िंदगी के मायने बदल रहे हैं
ज़िंदगी के मायने बदल रहे हैं,,,
कुछ दस्तूर पुराने बदल
रहे हैं,
ज़िंदगी के मायने बदल
रहे हैं,
नए नए ढंग आ गए हैं
कमाने के,
वो ढर्रे पुराने अब बदल
रहे हैं,
बेटियां निकल पड़ी हैं
पढ़ने को,
वो अनपढ़ वाले ज़माने
बदल रहे हैं,
राफेल उड़ा रही हैं वो
आजकल,
वो घूँघट वाले ज़माने
बदल रहे हैं,
ऑनलाइन क्लास होतीं
हैं आजकल,
वो स्कूल कालेज के बहाने बदल रहे हैं,
माता पिता के पालने के
ढंग बदल रहे हैं,
प्रत्युत्तर में ओलाद के रंग
बदल रहे हैं,
कलम कागज़ अब छुप
रहे हैं,
जोटर पैड, लैपटॉप, मोबाइल
पर ही
लिखने वाले अब लिख सब
रहे हैं
देखो लिखने के ढंग भी कुछ
बदल रहे हैं,
नेता कर कर कर झूठे वादे
जनता को
सब ठग रहे हैं, ठगने के
ढ़ंग बदल रहे हैं,
ज़िंदगी दौड़ रही है अब नयी
रफ्तार से,
दौड़ने के ढ़ंग भी देखो बदल
रहे हैं,
ज़िंदगी के मायने अब
बदल रहे हैं।
ज़िन्दगी के मायने अब
बदल रहे हैं।।
दीपाली कालरा