ज़हर देकर जो मुस्काए उसे सरकार कहते हैं।
ज़हर पीकर जो मुस्काये उसे फनकार कहते है।
ज़हर देकर जो मुस्काये उसे सरकार कहते हैं।
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हमें सुनना है ग़र जो वह कहे तो वह सयाना है।
वगरना सूर तुलसी को भी हम बेकार कहते हैं।
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जहां पर भीष्म बैठे हों जहां पर द्रोण बैठे हों।
बेइज़्ज़त फिर भी औरत हो उसे दरबार कहते हैं।
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हकीकत देखकर जो छोड़ देता ऐश महलों के।
उसे हम बुद्ध कहते हैं उसे बेज़ार कहते हैं।
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उसूलों की करे बाते जो करता बात मसलों की।
उसे दीवाना कहते हम उसे बीमार कहते हैं।
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जिसे सुनकर कहे यह सामने वाला सही तुम हो।
उसी को कहना कहते हैं उसे इज़हार कहते हैं।
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” नज़र” देखा है एक पल में सितारा बनते लोगों को।
समझ पाता नहीं चलना किसे रफ़्तार कहते हैं।