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2 Jun 2022 · 1 min read

ज़रा सी देर में सूरज निकलने वाला है

ये झूठ शीध्र ही सच में बदलने वाला है
सबूत लेके जो आया वो छलने वाला है

ये काली रात अँधेरी है मानती हूँ पर
ज़रा सी देर में सूरज निकलने वाला है

नज़र हरेक ही काशी की ओर ठहरी है
वहाँ नसीब का सिक्का उछलने वाला है

गुमान होता है चेहरे को देख कर उसके
हमारी जीत पे वो भी मचलने वाला है

रखी है शान बना के यहाँ तो संतो ने
ये फ़ैसला नहीं अब और टलने वाला है

हवाएं देख के होता है यह यक़ीं सुधाअब
कमल दिलो में सभी के ही खिलने वाला है

डा. सुनीता सिंह ‘सुधा’
वाराणसी,स्वरचित
26/5/2022

317 Views

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