ग़ज़ल
हम करे कुछ भला’ नादान बुरा कहते हैं
जख्म पर के दवा’ को वो जफ़ा कहते हैं |
मंत्री’ बन कर वो’ फँसाया सभी चोरों को फिर
एडवोकेट बने चोर के’,क्या कहते हैं ?
जो रखे दोस्त दो’ लड़के, है’ चतुर वो लड़की
मर्ज़ है एक तो’ बदलाव दवा कहते हैं |
जिंदगी में कभी’ जानम न विरोधी होना
प्रेयसी से हाँ’ मिलाना ही’ वफ़ा कहते हैं |
हर घडी क्लेश में’ क्यों काटे’ समय अपना अब
वो मय-ओ- नग्मे को पीढ़ान्त नशा कहते हैं |
बात कोई भी’ हो’, जानम तो’ खफ़ा हो जाते
कोई उसको कहे’ क्या राग हवा* कहते हैं | * हवा भरा मैदान
शख्स जिसको न मैं जाना, न कभी तो तुम ने
और कोई नहीं’ वह, उसको’ खुदा कहते हैं |
माँगते हर दफा’ ‘काली’ कभी’ धन दौलत प्यार
हाथ फैला कभी’ ऊपर तो’ दुआ कहते हैं |
कालीपद ‘प्रसाद’