ग़ज़ल
पेट जब गीत गुन गुनाता है
आदमी ज्ञान भूल जाता है
मुश्किलों से न यूँ डरो प्यारे
फूल काँटों में मुस्कुराता है
तन मन बिखेरता खुशबु
जिक्र उसका जो चला आता है
दुनियां को जीतने वाला
अपनों से हार जाता है
चलना तुम्हारी मर्जी है
विवेक तो रास्ता दिखाता है