ग़ज़ल
प्यार की धुन को बजता जायगा
राज़ जीवन का सुनाता जायगा |
पल दो पल की जिंदगी होगी यहाँ
दोस्ती सबसे निभाता जायगा |
बाँटता जाएगा मोहब्बत सदा
दोस्त दुश्मन को बनाता जायगा |
पेट खुद का चाहे हो खाली मगर
खाना भूखों को खिलाता जायगा |
ले धनी का साथ अपनी राह में
मुफलिसों को भी मिलाता जायगा |
छोड़ नफरत द्वेष हिंसा औ घृणा
प्रेम मोहब्बत सिखाता जायगा |
उस फरिस्ते की प्रतीक्षा है अभी
स्वर्ग धरती को बनाता जायगा |
© कालीपद ‘प्रसाद’