ग़ज़ल
. ग़ज़ल
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बात सुनो ये सीधी सादी ,
लोग हुए अब अवसरवादी .
तजना मत तुम दीवानापन ,
रहे भले बेगानी शादी .
आफ़त में तुम अवसर खोजो ,
आज गली में हुई मुनादी .
कान पके हैं सच को सुनकर ,
हुए झूठ के हम सब आदी .
मुद्दे नए उगाना सीखो ,
भूलो प्रसंग सब बुनियादी .
कैसे कैसे दिन दिखलाए ,
पूछे रब से इक फरियादी .
धर्म बहुत ही नाजुक मसला ,
पल में बनते जन उन्मादी .
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राजपाल सिंह गुलिया
जाहिदपुर , झज्जर ( हरियाणा )