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21 Sep 2022 · 1 min read

ग़ज़ल /

मुझे आज तुझसे पड़ा काम साकी ।
तेरे हाथ में है मेरा ज़ाम साकी ।

न यारों , न महबूब और न किसी के,
तेरे नाम होगी मेरी शाम साकी ।

मै बदनाम होके बनूँ नामवर – सा,
अगर लेगा तू जो , मेरा नाम साकी ।

तू चाहे तो थोड़ी सी इज़्ज़त मिलेगी,
वगरना हूँ अब तक मैं बदनाम साकी ।

चढ़ा जो नशा , फिर उतरता नहीं है,
ये मस्तों की मस्ती का पैगाम साकी ।

कि अल्लाह,’ईश्वर’,पयम्बर कि ख़ुद में,
वो रहता इन्हीं में है गुमनाम साकी ।

—- ईश्वर दयाल गोस्वामी ।

Language: Hindi
12 Likes · 20 Comments · 409 Views
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