ग़ज़ल
वक्त कभी भी ……कम नहीं होता,
बिन बरसात मौसम नम नहीं होता।
दूरियाँ बना ली खुद को छुपा बैठे,
जुदाई सहने …का दम नहीं होता।
जाओ कहीं भी …याद करोगे तब भी,
दर्दे दिल दूरी से कभी कम नहीं होता।
आदमी हो….जहाँ में जानवर नहीं,
इतना सुंदर कोई जनम नहीं होता।
हालात जैसे भी हों उलझो तो सही,
मसौदे बिन कोई समझौता नहीं होता।