ग़ज़ल
दिल में उनका जब ठिकाना हो गया
तब से दुश्मन ये ज़माना हो गया
दर्द थमने का नहीं अब नाम ले
रात दिन आँसू बहाना हो गया
एक दिन हमको मिले वो राह में
यकबयक मौसम सुहाना हो गया
उसकी ये कमसिन अदा मैं क्या कहूँ
हर अदा पर दिल का आना हो गया
उसकी यादों का ग़मो के धूप में
सर पे मेरे शामियाना हो गया
क्या करेगा ले के वो दैरो हरम
जिसका भी दिल आशिक़ाना हो गया
हो गया प्रीतम भी आशिक़ इश्क़ में
हर लबों पर ये फ़साना हो गया
प्रीतम राठौर भिनगाई