ग़ज़ल
जमाने भर की आँखों के
नए सपने ???बनाऊँगा
मैं बेगानों से ग़म चुनकर
उन्हें अपने ?❤️?बनाऊँगा ।
बनाने का हुनर बख़्शा
खुदा ने जो कभी मुझको
नहीं हथियार कोई भी
मगर कलमें?️?️?️✏️✒️ बनाऊँगा।।
संजय नारायण
20/11/2019
जमाने भर की आँखों के
नए सपने ???बनाऊँगा
मैं बेगानों से ग़म चुनकर
उन्हें अपने ?❤️?बनाऊँगा ।
बनाने का हुनर बख़्शा
खुदा ने जो कभी मुझको
नहीं हथियार कोई भी
मगर कलमें?️?️?️✏️✒️ बनाऊँगा।।
संजय नारायण
20/11/2019