ग़ज़ल
वज़्न 212 212 122 2
दर्द दिल का यहां मिटाने आ
आ कभी तो,शराबखाने आ
ख़्वाब,झूठे बहुत दिखाये थे
ख़्वाब,फिर से वही,दिखाने आ
दिल बहुत बेकरार है तुम बिन
आज मिलने,किसी बहाने आ
मैं सदा ही ,तुम्हें सजाऊंगा
तू भले ही मुझे मिटाने आ
है भरोसा बहुत किया,तुमपर
फिर से पागल,हमें बनाने आ,
वैभव बेख़बर
कानपुर उत्तर प्रदेश