ग़ज़ल
एक साथी मिला आज विश्वास का ,
लौट आया समय हर्ष उल्लास का .
हाथ पीले हुए थे सुता के तभी ,
सेठ ने जब लिया खेत जयदास का .
धूप में तप रही थी धरा जेठ सी ,
आ गया मेघ बिन मास चौमास का .
बेबसी का तिमिर ही उजाला बने ,
दीप मन में जले जब किसी आस का .
अन्त में जीत सच की हुई सर्वदा ,
खोल कर देख लो पृष्ठ इतिहास का .