ग़ज़ल
रात गहराये डरो मत
हौसले छोड़ा करो मत।
दर्द जितना भी रुलाए
सिसकियां प्यारे भरो मत।
लोग जलते हों बला से
आप पर जल के मरो मत।
दिल रहा नाज़ुक हमेशा
बोझ इस पर तुम धरो मत।
चैन दिल का है ज़रूरी
अवध इसको तुम हरो मत।
रात गहराये डरो मत
हौसले छोड़ा करो मत।
दर्द जितना भी रुलाए
सिसकियां प्यारे भरो मत।
लोग जलते हों बला से
आप पर जल के मरो मत।
दिल रहा नाज़ुक हमेशा
बोझ इस पर तुम धरो मत।
चैन दिल का है ज़रूरी
अवध इसको तुम हरो मत।