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20 Jun 2018 · 1 min read

ग़ज़ल

रूठा रूठा रहता है जानम, कुछ बात बताये तो
हम उसे (उन्हें)मनाये कैसे, साजन पास कभी आये तो |

है अभिमानी ताकत के मद में, करता केवल मन का
धैर्य रखेगा क्या वह गर, कोई उसको समझाए तो ?

नेताओं में ज्यादा हैं शातिर, कुछ हैं सीधा सादा
भोले साधु करेंगे क्या, शातिर उनको नचवाये तो ?

माना, रूबरू लड़ाई में मुझसे जीत नहीं सकता
पहले ये बतला दो, उसने छुपकर तीर चलाये तो ?

अब की बार चलाना मुश्किल, अगर विपक्षी चौकन्ना
भोली भाली जनता को गर बहकाकर भड़काए तो |

किसकी हार और किसकी होगी जीत, नहीं अब निश्चित
विश्वासी साथी जब गैरों को भी राज़ बताये तो |

खुद और न औरों को खाने देने का वादा मुस्किल
न निभाने का वादा आसान, अगर खुद भी खाए तो |

भ्रष्ट भी रहे और जांच भी न कराये, कैसी विद्या
कानून करे जो पर्दाफास, उसे ख़त्म कराये तो |

काला धन पंगु नहीं ‘काली’, है सादा रुपया जैसा
काले की शक्ति अधिक है, उससे सरकार चलाये तो |

कालीपद ‘प्रसाद’

1 Like · 1 Comment · 362 Views

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