Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Dec 2020 · 1 min read

ग़ज़ल

——ग़ज़ल ——

नफ़रतों की आतिश में जलती राजधानी है
या ख़ुदा वतन की क्या बन गयी कहानी है

नौजवाँ भटकते हैं रिज़्क़ के लिए दर-दर
अब जवाल की इससे बढ़ के क्या निशानी है

सुर्ख़ हो रहीं सड़कें क़त्ले- आदमियत से
बह रहा लहू ऐसे जैसे बहता पानी है

फूल कलियाँ भौरों की बागबाँ नहीं सुनता
गुलसिताँ जलाने को उसने मन में ठानी है

पर क़तर परिन्दों के कहकहे लगाता जो
उसपे भी सितम होगा उसने ये न जानी है

हर क़दम पे ही रुसवा करता वो मुझे जालिम
आज भी मेरे दिल पर जिसकी हुक़्मरानी है

कौन है यहाँ अपना कौन ग़ैर है “प्रीतम”
आज क़शमक़श में ये मेरी ज़िन्दगानी है

प्रीतम श्रावस्तवी
श्रावस्ती [ उ० प्र०]

1 Comment · 313 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
जाओ कविता जाओ सूरज की सविता
जाओ कविता जाओ सूरज की सविता
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
*हिंदी हमारी शान है, हिंदी हमारा मान है*
*हिंदी हमारी शान है, हिंदी हमारा मान है*
Dushyant Kumar
"अकेलापन की खुशी"
Pushpraj Anant
चलो चलाए रेल।
चलो चलाए रेल।
Vedha Singh
दोस्ती
दोस्ती
Monika Verma
नज़र में मेरी तुम
नज़र में मेरी तुम
Dr fauzia Naseem shad
💐प्रेम कौतुक-416💐
💐प्रेम कौतुक-416💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
गीत
गीत
Kanchan Khanna
आओ जाओ मेरी बाहों में,कुछ लम्हों के लिए
आओ जाओ मेरी बाहों में,कुछ लम्हों के लिए
Ram Krishan Rastogi
***वारिस हुई***
***वारिस हुई***
Dinesh Kumar Gangwar
3201.*पूर्णिका*
3201.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
भीम के दीवाने हम,यह करके बतायेंगे
भीम के दीवाने हम,यह करके बतायेंगे
gurudeenverma198
भाव - श्रृँखला
भाव - श्रृँखला
Shyam Sundar Subramanian
" from 2024 will be the quietest era ever for me. I just wan
पूर्वार्थ
आजकल लोग का घमंड भी गिरगिट के जैसा होता जा रहा है
आजकल लोग का घमंड भी गिरगिट के जैसा होता जा रहा है
शेखर सिंह
बचपन
बचपन
लक्ष्मी सिंह
जीवन के पल दो चार
जीवन के पल दो चार
Bodhisatva kastooriya
नकारात्मकता फैलानी हो तो
नकारात्मकता फैलानी हो तो
*Author प्रणय प्रभात*
एक सत्य
एक सत्य
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
तेरे दिल में मेरे लिए जगह खाली है क्या,
तेरे दिल में मेरे लिए जगह खाली है क्या,
Vishal babu (vishu)
जो मुस्किल में छोड़ जाए वो यार कैसा
जो मुस्किल में छोड़ जाए वो यार कैसा
Kumar lalit
निराली है तेरी छवि हे कन्हाई
निराली है तेरी छवि हे कन्हाई
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
*मूलांक*
*मूलांक*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
अधूरी प्रीत से....
अधूरी प्रीत से....
sushil sarna
उतरन
उतरन
Dr. Pradeep Kumar Sharma
अंतिम युग कलियुग मानो, इसमें अँधकार चरम पर होगा।
अंतिम युग कलियुग मानो, इसमें अँधकार चरम पर होगा।
आर.एस. 'प्रीतम'
कितनी हीं बार
कितनी हीं बार
Shweta Soni
सुस्त हवाओं की उदासी, दिल को भारी कर जाती है।
सुस्त हवाओं की उदासी, दिल को भारी कर जाती है।
Manisha Manjari
संघर्ष ,संघर्ष, संघर्ष करना!
संघर्ष ,संघर्ष, संघर्ष करना!
Buddha Prakash
*25_दिसंबर_1982: : प्रथम पुस्तक
*25_दिसंबर_1982: : प्रथम पुस्तक "ट्रस्टीशिप-विचार" का विमोचन
Ravi Prakash
Loading...