ग़ज़ल सीख रही हूँ
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तेरी संगत में ग़ज़ल सीख रही हूँ
अब तो उल्फत में ग़ज़ल सीख रही हूँ
तेज रफ्तार है जीवन की मगर
आज फुर्सत में ग़ज़ल सीख रही हूँ
ये सफर साथ मे ही गुजरेगा
इतनी हसरत में ग़ज़ल सीख रही हूँ
हू ब हू रँग गया है जिस रँग में
उसकी रंगत में ग़ज़ल सीख रही हूँ
प्यार बेहद मिला है लोगों से
उस मुहब्बत में ग़ज़ल सीख रही हूँ
दर्दे दिल कौन सुनेगा मेरा
तेरी फुरकत में ग़ज़ल सीख रही हूँ
लड़ रही हूँ बुरे हालातों से
ऐसी हालत में ग़ज़ल सीख रही हूँ
रब को शब्दों में उतारूँ कैसे
बस इबादत में ग़ज़ल सीख रही हूँ
तुमको ही सोचा करूँ मैं अक्सर
तेरी चाहत में ग़ज़ल सीख रही हूँ
शेर बनता है छू लू लफ़्ज़ों को
जबसे आदत में ग़ज़ल सीख रही हूं
ज्योति क्यों फिक्र करे दुनिया की
मैं तो राहत में ग़ज़ल सीख रही हूँ