ग़ज़ल — सच्चा प्रेमी संगी होगा अंतिम पत्थर आने तक
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बच्चे रस्ता देखा करते पंछी के घर आने तक
पंछी दाना देता रहता बच्चों के पर आने तक।
सोना जगना गिरना उठना ये सब लक्षण जीवन के
सूखा पत्ता डाली को क्या देखे मंजर आने तक
छोटी लम्बी तन्हाई से क्या अंदाज़ा होता है
सच्चा प्रेमी संगी होगा अंतिम पत्थर आने तक
तू महफ़िल में गाता रहता मैं ही सच्चा रहबर हूँ।
तेरी महफ़िल ज़िंदा है बस सच के ऊपर आने तक
खट्टी मीठी यादें तेरे जीवन का सरमाया हैं
इन यादों को साथी कर ले जीवन पतझर आने तक
— क़मर जौनपुरी