ग़ज़ल- वो “गिरगिट सा रंग बदलना” जानते हैं
हिंदी भाषा के मुहावरे और लोकोक्तियां पर आधारित यह गजल/ गीतिका लिखने का प्रयास किया गया है।
वो “गिरगिट सा रंग बदलना” जानते हैं।
हम “उड़ती चिड़िया का ठिकाना” जानते हैं।।
“साँपों को अब दूध पिलाना” बंद करो ।
“नागों के फन खूब कुचलना” जानते हैं।।
“राई का पहाड़ बनाना” बंद करो तुम।
हम “गागर में सागर भरना” जानते हैं।।
“गीदड़ भपकी” खूब सुनी तेरी हमने।
हम भी “ईंट से ईंट बजाना” जानते हैं।।
“जलती आग में तेल बहुत तुम डाल” चुके ।
‘कल्प’ “हवा का रुख़ भी बदलना” जानते हैं।।
कल्प अरविंद